शून्य से कम तापमान में भी पैदा हो सकेंगी हरी सब्जियां
आईआईटी ने विकसित किया रूट जोन हीटिंग सिस्टम, पहाड़ी व बर्फीले इलाकों में तापमान कम होने से सर्दी में होता है सब्जियों का संकट
तकनीक से होगी जैविक खेती
प्रो. शर्मा ने बताया कि इस तकनीक से सिर्फ पौधों की पैदावार नहीं, बल्कि फसल अपशिष्ट प्रबंधन भी किया जाएगा। खेतों की उर्वरकता बढ़ेगी और सब्जियां जैविक विधि से पैदा होंगी। फसल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए रबर की पाइप लाइन चलाकर वर्मी कम्पोस्ट को अतिरिक्त गर्मी प्रदान की जाएगी।
सेना समेत कई कंपनियों से चल रही बात
प्रो. शर्मा के मुताबिक इस तकनीक को पेटेंट मिल चुका है। सेना समेत लद्दाख जैसे पहाड़ी व बर्फीले इलाकों में सब्जियों की खेती या व्यापार करने वाली कंपनियां भी संपर्क में हैं। सेना द्वारा अरुणाचल प्रदेश में इस तकनीक के इस्तेमाल को लेकर बात हुई है।
● अभिषेक सिंह
कानपुर। पहाड़ी और बर्फीले इलाकों में शून्य से 10 डिग्री कम तापमान में भी अब हरी सब्जियों की भरपूर पैदावार होगी। इसके लिए आईआईटी, कानपुर ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसका नाम रूट जोन हीटिंग सिस्टम रखा है। आईआईटी को इस तकनीक का पेटेंट भी मिल गया है।
इस तकनीक को विकसित करने वाले संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मुकेश शर्मा हैं। साथ में प्रो. अनुभा गोयल व उनकी टीम ने योगदान दिया। प्रो. शर्मा ने बताया कि बर्फीले इलाकों में सर्दियों में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। ऐसी स्थिति में सब्जियों की पैदावार खत्म हो जाती है।
पौधों के लिए अनुकूल तापमान
प्रो. शर्मा के मुताबिक पॉलीहाउस में सब्जियों की फसल लगाई गई। सौर ऊर्जा से गर्म पानी को पौधों की जड़ों के करीब पहुंचाने के लिए जीआई (जस्ती लोहा) पाइपों का नेटवर्क बिछाया गया। जड़ों को गर्माहट मिल सके, इसके लिए पाइप के चारों ओर एल्युमिनियम शीट फिन का मॉडल तैयार किया गया। इससे तापमान 18 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया।
1. डेढ़ साल में पूरी हुई है यह रिसर्च
2. 18 डिग्री तक तापमान में होती है वृद्धि
3. सौर ऊर्जा से संचालित होता है सिस्टम, अतिरिक्त खर्च नहीं
4. सब्जियों की गुणवत्ता व उत्पादन में कोई अंतर नहीं
5. सर्कुलर इकोनॉमी पर बेस अर्थात बिना अतिरिक्त खर्च के पैदावार
6. मिट्टी की अच्छी उर्वरता
जिन किसानों को सर्दियों के मौसम में काम नहीं मिल रहा था, वे अब ग्रीनहाउस की बदौलत अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं। इससे लद्दाख के बाहर से आने वाली सब्जियों पर निर्भरता भी कम हुई है।'
कृषि विभाग किसानों को प्रशिक्षण भी देता है. विभाग किसानों को बताता है कि वे सर्दियों के मौसम में ग्रीनहाउस में कैसे और क्या उगा सकते हैं।
लद्दाखी परिवारों के लिए बेहतर पोषण और आय
लेह जिले के थेकसे गांव के 45 वर्षीय किसान टुंडुक कुंजुंग ने गांव कनेक्शन से कहा, "अपने सोलर ग्रीनहाउस में मैंने पिछली सर्दियों में टमाटर, फूलगोभी और भिंडी उगाई थी और सब्जियां बेचकर लगभग 40,000 रुपये भी कमाए।" उन्होंने दो साल पहले ग्रीनहाउस स्थापित किया था।
कुंजुंग ने सलाह देते हुए कहा, "अगर हमें आगे के लिए सोचना है और लद्दाख को आत्मनिर्भर बनाना है तो हर किसान को इन ग्रीनहाउस को अपनाना होगा" वह सोग्रीनहाउस स्थापित करने मे जूठे है!
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